हनुमान जी की विनम्रता
हनुमान जी की विनम्रता: (विनम्र केवल श्रेष्ठ और शक्तिशाली ही होते है ) हे सूरज इतना याद रहे , संकट एक सूरज वंश पे है , लंका के नीच राहु द्वारा आघात दिनेश -अंश पर है | इसलिए छिपे रहना भगवन जब तक मै जड़ी पंहुचा दूँ मै, बस तभी प्रकट होना दिनकर जब संकट निशा मिटा दूँ मै| मेरे आने से पहले यदि किरणों का चमत्कार होगा , तो सूर्यवंश में निश्चित ही अंधकार होगा | आसा है , उम्मीद है : स्वल्प प्राथना यह , सच्चे दिल से स्वीकरोगे, आतुर की करुणार्थ अवस्था को सच्चे दिल से स्वीकरोगे| अन्यथा क्षमा करना दिनकर अंजनी तनय से पाला है, बचपन से जान रहे हो तुम, हनुमत कितना मतवाला है | मुख में तुमको धर रखने का फिर वही क्रूर साधन होगा ,बंदी मोचन तब होगा जब लक्ष्मण का दुख मोचन होगा | दीपेश त्रिपाठी