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हनुमान जी की विनम्रता

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हनुमान  जी  की  विनम्रता: (विनम्र केवल श्रेष्ठ और शक्तिशाली ही होते  है ) हे सूरज इतना याद रहे , संकट एक सूरज वंश पे है , लंका के नीच राहु द्वारा आघात दिनेश -अंश पर है | इसलिए छिपे रहना भगवन  जब तक मै जड़ी पंहुचा दूँ मै, बस तभी प्रकट होना दिनकर जब संकट निशा मिटा दूँ मै| मेरे आने से पहले यदि किरणों का चमत्कार होगा , तो सूर्यवंश में निश्चित ही अंधकार  होगा | आसा है , उम्मीद  है : स्वल्प प्राथना यह , सच्चे दिल से स्वीकरोगे, आतुर की करुणार्थ अवस्था को सच्चे दिल से स्वीकरोगे| अन्यथा क्षमा करना दिनकर अंजनी तनय से पाला है, बचपन से जान रहे हो तुम, हनुमत कितना मतवाला  है | मुख में तुमको धर रखने का फिर वही क्रूर साधन होगा ,बंदी मोचन तब होगा जब लक्ष्मण का दुख मोचन होगा | दीपेश त्रिपाठी 

रिश्ते पैसो के मोहताज़ नहीं होते l

रिश्ते पैसो के मोहताज़ नहीं होते l क्योकि कुछ रिश्ते  मुनाफा नहीं देते ,, पर अमीर जरूर बना देते है  …l इस अजनबी सी दुनिया में, अकेला इक ख्वाब हूँ. सवालों से खफ़ा, चोट सा जवाब हूँ. जो ना समझ सके, उनके लिये "कौन". जो समझ चुके, उनके लिये किताब हूँ.

मोहब्बत बढती जा रही है क्या कहूँ, केसे कहूँ..

तू भी कभी महसूस कर क्या है बिखरने की तड़प …. एक रोज़ बाज़ी यूँ सजे, शीशा तेरा पत्थर मेरा ..!! # ना_तेरे_आने_की_खुशी …. # ना_तेरे_जाने_का_गम ….. # बीत_गया_वो_जमाना ….. # जब_तेरे_दिवाने_थे_हम …… काश कि कयामत के दिन हिसाब हो सब बेबफाओँ का.. और वो मुझसे लिपट कर कहे कि, मेरा नाम मत लेना.!! कुछ इस अदा से तोड़े हैं ताल्लुक उसने, एक मुद्दत से ढूंढ़ रहा हूँ कसूर अपना…!!! ये आंसुओं कि ज़कात मुझ पे ही फर्ज क्यों.. वो भी तो कुछ अदा करे, मोहब्बत उसे भी थी.. झूठ कहते हैं लोग कि मोहब्बत सब कुछ छीन लेती है,.. मैंने तो मोहब्बत करके, ग़म का खजाना पा लिया .. जलवे तो बेपनाह थे इस कायनात में, . . ये बात और है कि नजर तुम पर ही ठहर गई। क़दर करलो उनकी जो तुमसे बिना मतलब की चाहत करते हैं… दुनिया में ख्याल रखने वाले कम और तकलीफ देने वाले ज़्यादा होते है..! इश्क़ तो बस नाम दिया है दुनिया ने, एहसास बयां कोई कर पाये तो बात हो!! तरस गए हैं तेरे लब से कुछ सुनने को हम….. प्यार की बात न सही….कोई शिकायत ही कर दे… तुझ से दूर रहकर…. मोहब्बत बढती जा रही है क्या कहूँ… केसे कहूँ… ये दुरी तु