हम जब भी उठेंगे, तूफ़ान बन कर उठेंगे, बस उठने की अभी ठानी नहीं है..
"मुश्किल चाहे लाख हो लेकिन इक दिन तो हल होती है ,
ज़िन्दा लोगों की दुनिया में अक्सर हलचल होती है ,
जिस बस्ती में नफ़रत को परवान चढ़ाया जायेगा ,
सँभल के रहना उस बस्ती की हवा भी क़ातिल होती है...!
ये हौसला ए जज़्बात खुद लोगो में विश्वास लिखेगा
दरिया खुद उफन कर अब अपनी प्यास लिखेगा
उगलियाँ तो लोग पे भगवान् पे भी उठाते है पर
काल के कपाल पर वक़्त आप का इतिहास लिखेगा
लहरों को खामोश देखकर यह न समझना कि समंदर में रवानी नहीं है,
हम जब भी उठेंगे, तूफ़ान बन कर उठेंगे,
बस उठने की अभी ठानी नहीं है..!!"
ज़िन्दा लोगों की दुनिया में अक्सर हलचल होती है ,
जिस बस्ती में नफ़रत को परवान चढ़ाया जायेगा ,
सँभल के रहना उस बस्ती की हवा भी क़ातिल होती है...!
ये हौसला ए जज़्बात खुद लोगो में विश्वास लिखेगा
दरिया खुद उफन कर अब अपनी प्यास लिखेगा
उगलियाँ तो लोग पे भगवान् पे भी उठाते है पर
काल के कपाल पर वक़्त आप का इतिहास लिखेगा
लहरों को खामोश देखकर यह न समझना कि समंदर में रवानी नहीं है,
हम जब भी उठेंगे, तूफ़ान बन कर उठेंगे,
बस उठने की अभी ठानी नहीं है..!!"
Absolutely Great
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