"चाँद को इतना तो मालूम है तू प्यासी है,

"चाँद को इतना तो मालूम है तू प्यासी है,
तू भी अब उस के निकलने का इंतजार ना कर ,

भूख गर जब्त से बाहर है तो कैसा रोज़ा ?
इन गवाहों की ज़रूरत पे मुझे प्यार ना कर ..." Let's view the holy chand of love(करवाचौथ)
"नहीं कहा जो कभी, खामखाँ समझती है ,
जो चाहता हूँ मैं कहना कहाँ समझती है
सब तो कहते थे ताल्लुक में इश्क के अक्सर
आखँ को आखँ , ज़बाँ को जबाँ समझती है ....
"लहर का ख़म निकाला जा रहा है
नदी पर बांध डाला जा रहा है
कहाँ नीदें मेरी पलकों में ठहरें
किसी का ख्वाब पाला जा रहा है ...."
गजब की है फरमाइशें इस दिल-ऐ-नादान की ,
वो होते , हम होते और होंठों पे होंठ होते !!

 
 

Comments

Popular posts from this blog

है नमन उनको, कि जो यश-काय को अमरत्व देकर

हनुमान जी की विनम्रता

हम जब भी उठेंगे, तूफ़ान बन कर उठेंगे, बस उठने की अभी ठानी नहीं है..