है नमन उनको, कि जो यश-काय को अमरत्व देकर
है नमन उनको , कि जो यश - काय को अमरत्व देकर , इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गए हैं ... है नमन उनको , कि जिनके सामने बौना हिमालय , जो धरा पर गिर पड़े , पर आसमानी हो गए हैं ... है नमन उनको , कि जो यश - काय को अमरत्व देकर , इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गए हैं ... पिता , जिसके रक्त ने उज्ज्वल किया कुल - वंश माथा , मां वही , जो दूध से इस देश की रज तोल आई ... बहन , जिसने सावनों में भर लिया पतझड़ स्वयं ही , हाथ न उलझें कलाई से , जो राखी खोल लाई ... बेटियां , जो लोरियों में भी प्रभाती सुन रही थीं , पिता , तुम पर गर्व है , चुपचाप जाकर बोल आईं ... प्रिया , जिसकी चूड़ियों में सितारे से टूटते थे , मांग का सिंदूर देकर , जो उजाले मोल लाई ... है नमन उस देहरी को , जहां तुम खेले कन्हैया , घर तुम्हारे , परम तप की राजधानी हो गए हैं ... है नमन उनको , कि जिनके सामने बौना हिमालय ... हमने लौटाए सिकंदर , सिर झुकाए , मात खाए , हमसे भिड़ते हैं वे , जिन
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