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Tumhe kya pata kitni haseen ho tum.....

Tumhe kya pata kitni haseen ho tum, Dekhne ko tarasti hain nazrein jise wo naaz neen ho tum.. Haya chanchalta koi sikhe tumse, Nazroon main samaana dil ko churana koi sikhe tumse, Hum to Kayal hain teri adaaoon ke.... Koi adaa banana sikhe tumse, Bin nashe ke jo nasha kr de aisi dil nasheen ho tum, Kasam us khuda ki itni haseen ho tum... Jaan se jayaada chaha hai isiliye jaa-nseen ho tum, Mat pucho is dil se ki kitni haseen ho tum… 

हम जब भी उठेंगे, तूफ़ान बन कर उठेंगे, बस उठने की अभी ठानी नहीं है..

"मुश्किल चाहे लाख हो लेकिन इक दिन तो हल होती है , ज़िन्दा लोगों की दुनिया में अक्सर हलचल होती है , जिस बस्ती में नफ़रत को परवान चढ़ाया जायेगा , सँभल के रहना उस बस्ती की हवा भी क़ातिल होती है...! ये हौसला ए जज़्बात खुद लोगो में विश्वास लिखेगा दरिया खुद उफन कर अब अपनी प्यास लिखेगा उगलियाँ तो लोग पे भगवान् पे भी उठाते है पर काल के कपाल पर वक़्त आप का इतिहास लिखेगा लहरों को खामोश देखकर यह न समझना कि समंदर में रवानी नहीं है, हम जब भी उठेंगे, तूफ़ान बन कर उठेंगे, बस उठने की अभी ठानी नहीं है..!!"

A Truth On Religion and Religious

Last night(28th july), I was watching videos of   Dr. Zakir Naik ,   Shri Shri Ravi shankar  and  others many spiritual leaders. I want to go that point which I want to discuss with you! I have watched there a lot of public lecture, audience participation, and channel discussion, debate - on Islam, muslisum, Hinduism and Christians as well as Sikh religion up to 410 minutes. Many persons are accepting other religion after leaving his/her religion. Mr Naik was saying in his speech that if you believe “God Is One” then you are accepting Koran and that why you are Muslim so all of you accept Islam.   I totally disagree with Dr. Naik statement. He was also saying that the all the religion are only a primary level and Only Islam is high level religion.    I want to tell you that I am respecting each religion and no one religion is bad. There is no any such type of statement is present that   If you are accepting that “Almighty God Is One”, then it ...

एक इंच पिछे मत हटना, चाहे इंच इंच कट जाना। जय हिन्द..... जय माँ भारती ....(माँ का पत्र)

*** %एक माँ का पत्र अपने फोजी बेटे के नाम %*** एक माँ ने ख़त लिखा चाव से, बेटा ना मेरा दूध लज्जाना। एक इंच पिछे मत हटना, चाहे इंच इंच कट जाना। घर परिवार कुशल है मुन्ने, गाँव गली में मंगल है। ताज बाबरी की घटना से, क़दम क़दम पर हलचल है। ज्वालामुखी दिलो में धधके, आँखों में अंगारे है। आज अर्थियो के पिछे जय हिन्द के नारे है। आज तेरी बहना ने राखी पर, जय भगवा लिखा गुरूर से। और बहु ने वन्देमातरम् लिख दिया है सिन्दूर से। तेरे बापू यह लिखते है, गोली नहीं पीठ पर खाना। एक इंच पिछे मत हटना, चाहे इंच इंच कट जाना। जय हिन्द..... जय माँ भारती .... जिनकी आँखों में पत्र पढ़ कर आंसू आ जाये वो SHARE करके एक फोजी की माँ की ममता दिखाना... हर फोजी की माँ धन्य है .. जय हिन्द

"चाँद को इतना तो मालूम है तू प्यासी है,

" चाँद को इतना तो मालूम है तू प्यासी है, तू भी अब उस के निकलने का इंतजार ना कर , भूख गर जब्त से बाहर है तो कैसा रोज़ा ? इन गवाहों की ज़रूरत पे मुझे प्यार ना कर ..." Let's view the holy chand of love(करवाचौथ) "नहीं कहा जो कभी, खामखाँ समझती है , जो चाहता हूँ मैं कहना कहाँ समझती है सब तो कहते थे ताल्लुक में इश्क के अक्सर आखँ को आखँ , ज़बाँ को जबाँ समझती है .... "लहर का ख़म निकाला जा रहा है नदी पर बांध डाला जा रहा है कहाँ नीदें मेरी पलकों में ठहरें किसी का ख्वाब पाला जा रहा है ...." गजब की है फरमाइशें इस दिल-ऐ-नादान की , वो होते , हम होते और होंठों पे होंठ होते !!    

sikandar hun mujhe ek roj khalihi jana hai....

najar me sokiya lab pe muhabbt ka tarana hai meri ummeed ki jad me abhi sara jamana hai kai jeet hai di ki dsh pe malum hai mujhko sikandar hun mujhe ek roj khalihi jana hai....                                                              kahata saja  ye hai                                                              neende cheen li dono ki ankho se       ...

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये"

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये" तुम एम् ए फर्स्ट डिविजन हो, मैं हुआ मेट्रिक फेल प्रिये, मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये, तुम फौजी अफसर की बेटी, मैं तो किसान का बेटा हूँ, तुम रबड़ी खीर मलाई हो, मैं तो सत्तू सपरेटा हूँ, तुम ए. सी. घर में रहती हो, मैं पेड़ के नीचे लेटा हूँ, तुम नयी मारुती लगती हो, मैं स्कूटर लम्ब्रेटा हूँ, इस कदर अगर हम चुप चुप कर आपस में प्रेम बढ़ाएंगे, तो इक रोज़ तेरे पापा ज़रूर अमरीश पुरी बन जायेंगे, सब हड्डी पसली तोड़ मुझे भिजवा देंगे वो जेल प्रिये, मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये, तुम अरब देश की घोड़ी हो, मैं हूँ गधे की नाल प्रिये, तुम दीवाली का बोनस हो, मैं भूखो की हड़ताल प्रिये, तुम हीरे जड़ी तश्तरी हो, मैं अलमूनियम का थाल प्रिये, तुम चिकन सूप बिरयानी हो, मैं कंकड़ वाली दाल प्रिये, तुम हिरन चौकड़ी भरती हो, मैं हूँ कछुए की चाल प्रिये, तुम चन्दन वन की लकड़ी हो, मैं हूँ बबूल की छाल प्रिये, मैं पके आम सा लटका हूँ, मत मारो मुझे गुलेल प्रिये, मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार न...